पता नहीं,
गरीब
इस मँहगाई के साथ
कैसे चलता होगा,
कैसे हँसता होगा,
कैसे रिश्ते निभाता होगा,
कैसे उजाला देखता होगा,
कैसे समय को पूछता होगा,
कितने आँसू बहाता होगा,
कितनी आह भरता होगा,
कितनी बार टूट कर
उठता होगा,
कब-कब भूख को सुलाता होगा,
पता नहीं,
गरीब
इस भ्रष्टाचार के साथ
कैसे मुस्कराता होगा ।
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धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
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