कविता
शनिवार, 20 अगस्त 2011
कविता: जनता
कविता: जनता
: जनता ने बनाया जनता ही उतारेगी, लोकतंत्र के आँसुओं को जनता ही पोछेगी, सिंहासन की शुद्धता जनता ही पूछेगी, परिवर्तन की बातें भी जनता ही ...
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