बुधवार, 8 मार्च 2017

अभी सुनहरी यात्रा बाकी है

अभी सुनहरी यात्रा बाकी है
धरती रुकी नहीं है
सूरज ठहरा नहीं है
फसल का उगना बंद नहीं हुआ है
प्यार के किस्से सोये नहीं हैं
साथ की बातें जमी नहीं हैं,
अभी आदमी में सत्य शेष है
ज्ञान बिखरा पड़ा है
रोटी का संघर्ष जारी है
घर का दरवाजा आधा ही खुला है
खिड़कियों से रोशनी आ रही है
आसमान टिमटिमा रहा है
कथा की इति शेष है
बहुत से कथानक और बनने हैं।
अभी अगली बर्फ गिरेगी
अगला वसंत आयेगा
अगला साल सुधार लायेगा
अगली मुलाकात होगी
अगला त्योहार और अच्छा होगा
पेड़ों पर पक्षियां बैठेंगी
पहाड़ों पर चढ़ना चलता रहेगा
चुनावों से नयी संसद बनेगी,
जिस भाषा में चुनाव होगा
राजकाज उसी में चलेगा
गरीबी का गणित सुलझ जायेगा।
अभी सुनहरी यात्रा बाकी है
धरती रुकी नहीं है
सूरज ठहरा नहीं है।
**महेश रौतेला

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

उठो, हिमालय आज उठो

उठो हिमालय, आज उठो
तुम तक झंडा आया है,
श्याम-श्वेत जैसा भी हो
जय जयकार लाया है,
उठो भारत, आज उठो
तुम तक तिरंगा आया है,
श्याम-श्वेत जैसा भी हो
जय जयकार लाया है।
उठो गंगा, आज उठो
तुम तक मानव आया है,
श्याम-श्वेत जैसा भी हो
जय जयकार लाया है।
उठो जनता, आज उठो
तुम्हारी भाषा आयी है,
श्याम-श्वेत जैसी भी हो
जय जयकार लायी है।
उठो आत्मा, आज उठो
तुम तक सत्य आया है,
श्याम-श्वेत जैसा भी हो
जय जयकार लाया है।
**महेश रौतेला