रविवार, 12 जून 2011

कविता: गुनगुनाने के लिए मैं गीत हूँ

कविता: गुनगुनाने के लिए मैं गीत हूँ:
"गुनगुनाने के लिए मैं गीत हूँ,
स्नेह से पुकार लो मैं शब्द हूँ,
सुबह को उघाड़ लो मैं ताजगी हूँ,
प्यार से जान लो म..."

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