शनिवार, 11 जून 2011

गुनगुनाने के लिए मैं गीत हूँ

गुनगुनाने के लिए मैं गीत हूँ
गुनगुनाने के लिए मैं गीत हूँ,
स्नेह से पुकार लो मैं शब्द हूँ,
सुबह को उघाड़ लो मैं ताजगी हूँ,
प्यार से जान लो मैं स्पर्श हूँ,
                            गुनगुनाने के लिए मैं प्रीति हूँ,
                              आँख से देख लो मैँ दृष्टि हूँ,
शाम को पहिचान लो मैं विश्राम हूँ,
आवाज मेरी सुन सको मैं सच्च हूँ,
साथ-साथ चल सको मैं अनुभूति हूँ,
यदा-कदा मिल सको तो मित्र हूँ,
प्यार से जान लो तो अनन्त हूँ,
सौन्दर्य को कह सको तो सुखान्त हूँ,
प्यार से बढ़ सको तो मैं चुनाव हूँ,
तीर्थ में रह सको तो मैं पुण्य हूँ,
यहीं-कहीं रूक सको तो इन्तजार हूँ,
           बात को स्वीकार लो तो सत्य हूँ ।   
                              *****     
                                            **महेश रौतेला      











कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें