कभी-कभी सुबह-सुबह देखने आना-
वह नदी, जो बचपन से बह रही है,
वह पहाड़, जो अडिग है,
वह मृत्यु ,जो पल पल देखी गयी है,
वह समुद्र, जो गरजता रहता है,
वह जंगल, जो बीहड़ हो चुका है।
रास्ते जो कटे -फटे हैं,
पेड़ जो कट रहे हैं,
देश जो बँट रहे हैं,
उदासी जो घिर रही है,
आँसू जो गिर रहे हैं।
खुशियाँ जो गुम होती जा रही हैं,
संस्कृतियां जो नष्ट हो रही हैं,
गांव जो खाली हो रहे हैं,
विवशताएं जो मुँह खोले हैं।
राजनीति जो छिन्न-भिन्न हो रही है,
भ्रष्टाचार जो क्लिष्ट हो रहा है,
घर जो ढह रहे हैं,
त्योहार जो मर रहे हैं,
गंगा जो मैली बह रही है।
लोग जो बुजुर्ग हो गये हैं,
लड़कियां जो नानी बन गयी हैं,
लड़के जो नाना बन गये हैं,
मौसम जो नये लग रहे हैं,
हँसी जो मध्यम हो चुकी है।
श्मशान जो जल रहे हैं,
कब्रिस्तान जो खुद रहे हैं,
मित्रता जो मिट रही है,
स्रोत जो सूख रहे हैं।
**महेश रौतेला
वह नदी, जो बचपन से बह रही है,
वह पहाड़, जो अडिग है,
वह मृत्यु ,जो पल पल देखी गयी है,
वह समुद्र, जो गरजता रहता है,
वह जंगल, जो बीहड़ हो चुका है।
रास्ते जो कटे -फटे हैं,
पेड़ जो कट रहे हैं,
देश जो बँट रहे हैं,
उदासी जो घिर रही है,
आँसू जो गिर रहे हैं।
खुशियाँ जो गुम होती जा रही हैं,
संस्कृतियां जो नष्ट हो रही हैं,
गांव जो खाली हो रहे हैं,
विवशताएं जो मुँह खोले हैं।
राजनीति जो छिन्न-भिन्न हो रही है,
भ्रष्टाचार जो क्लिष्ट हो रहा है,
घर जो ढह रहे हैं,
त्योहार जो मर रहे हैं,
गंगा जो मैली बह रही है।
लोग जो बुजुर्ग हो गये हैं,
लड़कियां जो नानी बन गयी हैं,
लड़के जो नाना बन गये हैं,
मौसम जो नये लग रहे हैं,
हँसी जो मध्यम हो चुकी है।
श्मशान जो जल रहे हैं,
कब्रिस्तान जो खुद रहे हैं,
मित्रता जो मिट रही है,
स्रोत जो सूख रहे हैं।
**महेश रौतेला
आपकी लिखी रचना रविवार 14 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंजी बहुत सार्थक¡
जवाब देंहटाएंअपने रोजमर्रा के मसले पर ही व्यक्ति अटका हुआ है कब और कैसे देखे?
सवेरा होते ही तो रोज के झमेले से शुरुआत है ।
अप्रतिम रचना।
कभी देखे फुरसत से पीछे तब पता चले कितनी कुछ बदल रहा है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
आवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html