शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

उस लड़की ने मुझसे कहा," प्रणाम,बाई- बाबू जी, मैं तुमसे प्यार करती हूँ।"  मैंने बोला ठीक है। फिर वह बोली," ऐसा नहीं बोलना चाहिए, ना।" मैंने बोला क्या वह बोली," आई लव यू।" मैं सोच में पड़ गया। फिर बोला," मुझे बोल सकती हो, लेकिन सबको नहीं बोलते हैं।" वह मेरी बातों से संतुष्ट होकर चली गयी। मैं सोफे में बैठा अतीत के पन्ने खोलने लगा। जब एक बार मैंने भी एक लड़की को बोला था," मैं तुमसे प्यार करता हूँ।" और वह चुप खड़ी मुझे देखती रही थी। उस दिन कई बार हमने एक दूसरे को देखा। एक अद्भुत अनुभूति थी। जैसा कभी नहीं हुआ था। दूसरे दिन मैंने उससे पूछा था," तुम्हें बुरा तो नहीं लगा जो कल मैंने कहा था।" वह बोली," क्या?" मैंने तीन बार ऐसे ही पूछा और वह "क्या?" बोलती रही। मैंने फिर बोल दिया।
एकबार जब मैं उससे मिलने गया तो उसने मेरे हाथ में मूँगफली रखे। और फिर एक सन्नाटा हमारे बीच छा गया था। बातें कुछ नहीं हुईं। वह मुझे छोड़ने दूर तक आयी। कुछ दूर आकर मैंने उससे कहा," तुम्हें अब लौट जाना चाहिए।"  वह लौट गयी। मैंने मुड़कर देखा तो वह भी मुड़कर पीछे देख रही थी।
तीन साल बाद वह मेरे दोस्त को, एक शहर में मिली। मेरे बारे में उससे पूछ रही थी। मेरे दोस्त ने कुछ बताया, कुछ नहीं बताया। मैं उसे खोजने उस शहर गया, बिना पते के। यों ढ़ूंढना मुश्किल था। हारकर, अच्छे साहित्य की कुछ किताबें खरीदी और तीसरे दिन वापिस आ गया।

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