रविवार, 4 मार्च 2018

चलो, फिर

चलो, फिर विद्यालय चलें
कुछ तुम कहोगे, कुछ हम कहेंगे
कुछ ठंड अपने आप कहेगी।

चलो, फिर उन रास्तों पर चलें
कुछ तुम चलोगे, कुछ हम चलेंगे
कुछ बातों बातों में चल लेंगे।

चलो, फिर कक्षाओं में चलें
कुछ तुम पढ़ोगे, कुछ हम पढ़ेंगे
कुछ कक्षायें अपने आप कह देंगी।

चलो, फिर खेतों में चलें
कुछ किसान कहेगा, कुछ फसल कहेगी
कुछ मौसम अपने आप कहेगा।

चलो, फिर जोर से हँस लें
कुछ तुम हँसोगे, कुछ हम हँसेंगे
कुछ जिन्दगी अपने आप हँस लेगी।

चलो, आज देश के लिये चलें
कुछ तुम चलो, कुछ हम चलें
कुछ देश अपने आप चल लेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें