मन से कितनी धूल उड़ी
मन से कितनी धूल उड़ी
वे कहते यह राजनीति है
कोहरा जैसा जहां लगा है
वे कहते यह कूटनीति है।
भूमि जहां-जहां बंजर है
वे कहते हैं सब सरकारी है
नारे जो जो उनके हैं
वे कहते हैं पावन हैं।
मन से बहुत धूल उड़ी
वे कहते हैं राह साफ है
आसमान में धुंध लगी है
वे कहते हैं घन घिरे हैं ।
**महेश रौतेला
मन से कितनी धूल उड़ी
वे कहते यह राजनीति है
कोहरा जैसा जहां लगा है
वे कहते यह कूटनीति है।
भूमि जहां-जहां बंजर है
वे कहते हैं सब सरकारी है
नारे जो जो उनके हैं
वे कहते हैं पावन हैं।
मन से बहुत धूल उड़ी
वे कहते हैं राह साफ है
आसमान में धुंध लगी है
वे कहते हैं घन घिरे हैं ।
**महेश रौतेला
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