उन दिनों प्यार करने को
उन दिनों प्यार करने को
और कुछ था भी नहीं
तुम्हारे सिवाय,
न सिरफिरा मौसम था
न बादलों की झुकी लट थीं
न नदियों के घुमाव थे
न बर्फ से ढकी पहाड़ियां थीं,
सच कहूँ तो कुछ दिखता ही नहीं था।
इन दिनों कहने को
और कुछ है भी नहीं
एक ईश्वर है वह भी अकेला है।
**महेश रौतेला
उन दिनों प्यार करने को
और कुछ था भी नहीं
तुम्हारे सिवाय,
न सिरफिरा मौसम था
न बादलों की झुकी लट थीं
न नदियों के घुमाव थे
न बर्फ से ढकी पहाड़ियां थीं,
सच कहूँ तो कुछ दिखता ही नहीं था।
इन दिनों कहने को
और कुछ है भी नहीं
एक ईश्वर है वह भी अकेला है।
**महेश रौतेला