बात तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों सन्नाटा कर देती है,
प्यार तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों आँसू में घुल जाता है,
दृष्टि तुम्हारी मिल जाने पर,
क्यों खलबली सी मच जाती है,
हाथ तुम्हारा मिल जाने पर ,
क्यों हौसला बँध जाता है,
मुस्कान तुम्हारी दिख जाने पर,
क्यों समाधान आ जाता है,
रूप तुम्हारा सज जाने पर,
क्यों भावना टिक जाती है,
धूप गुनगुनी खिल जाने पर,
क्यों ताजगी आ जाती है,
बात मेरे पास पहुँच कर,
क्यों मिठास सी बन जाती है ।
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मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011
बात तुम्हारे पास पहुँच कर
बात तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों सन्नाटा कर देती है,
प्यार तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों आँसू में घुल जाता है,
दृष्टि तुम्हारी मिल जाने पर,
क्यों खलबली सी मच जाती है,
हाथ तुम्हारा मिल जाने पर ,
क्यों हौसला बँध जाता है,
मुस्कान तुम्हारी दिख जाने पर,
क्यों समाधान आ जाता है,
रूप तुम्हारा सज जाने पर,
क्यों भावना टिक जाती है,
धूप गुनगुनी खिल जाने पर,
क्यों ताजगी आ जाती है,
बात मेरे पास पहुँच कर,
क्यों मिठास सी बन जाती है ।
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क्यों सन्नाटा कर देती है,
प्यार तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों आँसू में घुल जाता है,
दृष्टि तुम्हारी मिल जाने पर,
क्यों खलबली सी मच जाती है,
हाथ तुम्हारा मिल जाने पर ,
क्यों हौसला बँध जाता है,
मुस्कान तुम्हारी दिख जाने पर,
क्यों समाधान आ जाता है,
रूप तुम्हारा सज जाने पर,
क्यों भावना टिक जाती है,
धूप गुनगुनी खिल जाने पर,
क्यों ताजगी आ जाती है,
बात मेरे पास पहुँच कर,
क्यों मिठास सी बन जाती है ।
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